मिशन नियुक्तियां
अध्याय 3: पाठ 1—यीशु मसीह के सुसमाचार की पुनःस्थापना का संदेश


“अध्याय 3: पाठ 1 —यीशु मसीह के सुसमाचार की पुनःस्थापना का संदेश,” मेरा सुसमाचार प्रचार करें: यीशु मसीह के सुसमाचार को साझा करने के लिए मार्गदर्शिका (2023)

“अध्याय 3: पाठ 1,” मेरे सुसमाचार का प्रचार करो

अध्याय 3: पाठ 1

यीशु मसीह के सुसमाचार की पुनःस्थापना का संदेश

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प्रथम दिव्यदर्शन

लोग जानना चाहते हों

  • क्या परमेश्वर है?

  • मैं परमेश्वर के करीब कैसे महसूस कर सकता हूं?

  • आज की भ्रमित करने वाली दुनिया में मैं सच्चाई को कैसे सीख सकता हूं?

  • धर्म मेरी कैसे मदद कर सकता है?

  • इतने सारे गिरजे क्यों हैं?

  • मेरे सामने इतनी चुनौतिया क्यों हैं?

  • अशांति के समय में मैं शांति कैसे पा सकता हूं?

  • मैं अधिक खुश कैसे रह सकता हूं?

  • भविष्यवक्ता आज दुनिया की कैसे मदद कर सकते है?

दुनिया की शुरुआत से, परमेश्वर ने भविष्यवक्ताओं के माध्यम से अपने बच्चों के लिए सुसमाचार प्रकट किये है। उसने ऐसा अपने पुत्र, यीशु मसीह के माध्यम से किया है। प्राचीन काल में, यीशु ने आदम, नूह, इब्राहीम और मूसा जैसे भविष्यवक्ताओं के सामने सुसमाचार प्रकट किया है। लेकिन कई लोगों ने इसका इनकार किया।

दो हजार साल पहले, यीशु मसीह ने स्वयं अपना सुसमाचार सिखाया और अपने गिरजे की स्थापना की थी। लोगों ने यीशु को भी अस्वीकार कर दिया। उनकी मृत्यु के तुरंत बाद, प्रभु की सच्चाई से और गिरजे से बडी संख्या में लोग अलग हो गए। सुसमाचार की परिपूर्णता और पौरोहित्य अधिकार अब पृथ्वी पर नहीं थे।

सदियों बाद, परमेश्वर ने एक और भविष्यवक्ता, जोसफ स्मिथ को नियुक्त किया। परमेश्वर ने उसके माध्यम से सुसमाचार की फिर से पूरी तरह से पुनःस्थापित किया और उसे यीशु मसीह के गिरजे को फिर से संगठित करने के लिए अधिकृत किया।

पृथ्वी पर यीशु मसीह के सुसमाचार की परिपूर्णता होना हमारे समय की महान आशीषों में से एक है सुसमाचार हमें जीवन के सभी प्रश्नों का उत्तर देने में मदद करता है। जीवित भविष्यवक्ता इस चुनौतीपूर्ण समय में हमारा मार्गदर्शन करते हैं। परमेश्वर का पौरोहित्य अधिकार एक बार फिर उसके बच्चों को आशीषें देने के लिए पृथ्वी पर है।

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परिवार को सिखाते हुए प्रचारक

सिखाने के लिए सुझाव

यह भाग आपको सिखाने की तैयारी में मदद करने के लिए उदारहण प्रदान करता है। इसमें आपके द्वारा उपयोग किए जा सकने वाले प्रश्नों और आमंत्रणों के उदाहरण भी शामिल हैं।

जब आप सिखाने की तैयारी करते हैं, तब प्रार्थनापूर्वक प्रत्येक व्यक्ति की स्थिति और आत्मिक आवश्यकताओं पर विचार करें। तय करें कि क्या सिखाना सबसे अधिक उपयोगी होगा। ऐसे शब्दों को परिभाषित करने के लिए तैयार रहें जिन्हें लोग शायद न समझ सकें। आपके पास कितना समय होगा उसके अनुसार योजना बनाएं, ध्यान रहे की पाठों को संक्षिप्त रखें।

सिखाते समय उपयोग करने के लिए पवित्र शास्त्रों का चयन करें। पाठ के “सैद्धांतिक आधार” खंड में कई उपयोगी पवित्र शास्त्रों शामिल हैं।

सिखाते समय ध्यान करें कि कौन से प्रश्न पूछे जाने चाहिए। ऐसे आमंत्रणों की योजना बनाएं जो प्रत्येक व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करें।

परमेश्वर की प्रतिज्ञा की गई आशीषों पर जोर दें, और जो आप सिखाते हैं उसकी अपनी गवाही साझा करें।

आप 15-25 मिनट में लोगों को क्या सिखा सकते हैं

सिखाने के लिए निम्नलिखित में से एक या अधिक सिद्धांतों का चयन करें। प्रत्येक सिद्धांत के लिए सैद्धांतिक आधार इस रूपरेखा के बाद प्रदान किया गया है।

परमेश्वर हमें प्यार करने वाला स्वर्गीय पिता हैं

  • परमेश्वर हमारा स्वर्गीय पिता है, और हम उसकी संतान हैं। उसने हमें अपने स्वरूप में बनाया है।

  • परमेश्वर हमें व्यक्तिगत रूप से जानता और हमसे प्यार करता है।

  • परमेश्वर के पास मांस और हड्डियों का महिमा से भरा हुआ, परिपूर्ण शरीर है।

  • परमेश्वर हमें शांति और आनंद की भरपूरी आशीषें देना चाहता हैं जो अनंतकाल तक रहेंगी।

  • क्योंकि परमेश्वर हमसे प्रेम करता है, उसने हमें पाप और मृत्यु से मुक्ति दिलाने के लिए अपने पुत्र, यीशु मसीह को भेजा।

परमेश्वर प्रत्येक व्यवस्था में भविष्यवक्ताओं के माध्यम से सुसमाचार को प्रकट करता है

  • परमेश्वर भविष्यवक्ताओं को पृथ्वी पर अपने प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त करता है।

  • प्राचीन समय में, परमेश्वर ने आदम, नूह, इब्राहीम और मूसा जैसे भविष्यवक्ताओं को नियुक्त किया था।

  • जीवित भविष्यवक्ता हमें सिखाने और हमारा मार्गदर्शन करने के लिए परमेश्वर से प्रकटीकरण प्राप्त करते है।

यीशु मसीह की सांसारिक सेवकाई और प्रायश्चित

  • यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र हैं।

  • अपनी सांसारिक सेवा के दौरान, यीशु ने अपना सुसमाचार सिखाया और अपने गिरजे की स्थापना की थी।

  • यीशु ने बारह प्रेरितों को नियुक्त किया और उन्हें अपने गिरजे का नेतृत्व करने का अधिकार दिया।

  • अपने जीवन के अंत में, यीशु ने गतसमनी के बगीचे में और सूली पर चढ़ने के दौरान अपनी पीड़ा के द्वारा हमारे पापों का प्रायश्चित किया था। यीशु की मृत्यु के बाद, वह फिर से जी उठा।

  • यीशु के प्रायश्चित बलिदान के कारण, जब हम पश्चाताप करते हैं तब हमें क्षमा किया जा सकता है और हमें हमारे पापों से शुद्ध किया जा सकता है। इससे हमें शांति मिलती है और हमारे लिए परमेश्वर की उपस्थिति में लौटना और आनंद की भरपूरी प्राप्त करना संभव हो जाता है।

  • यीशु के पुनरुत्थान के कारण, हम सभी मरने के बाद भी फिर से जी उठेंगे। इसका मतलब यह है कि प्रत्येक व्यक्ति की आत्मा और शरीर फिर से एक हो जाएंगे और हमेशा के लिए जीवित रहेंगे।

विश्वास का पतन

  • यीशु के प्रेरितों की मृत्यु के बाद, यीशु मसीह के सुसमाचार और गिरजे से बडी संख्या पर विश्वास का पतन हुआ।

  • इस समय के दौरान, लोगों ने सुसमाचार और शिक्षाओं को बदल दिया। लोगों ने बपतिस्मा जैसे पौरोहित्य विधियों को भी बदल दिया। पौरोहित्य अधिकार और गिरजे जिसे यीशु ने स्थापित किया था, तब पृथ्वी पर नहीं था।

जोसफ स्मिथ के माध्यम से यीशु मसीह के सुसमाचार की पुनःस्थापना हुई

  • जोसफ स्मिथ ने यह जानना चाहा कि कौन सा गिरजा परमेश्वर का सच्चा गिरजा है ताकि वह इसमें शामिल हो सके। स्वर्गीय पिता और यीशु मसीह 1820 में उसको दर्शन दिए। इस घटना को प्रथम दिव्यदर्शन कहा जाता है।

  • परमेश्वर ने जोसफ स्मिथ को भविष्यवक्ता बनने के लिए नियुक्त किया, ठीक वैसे ही जैसे उसने पहले के समय में भविष्यवक्ताओं को नियुक्त किया था।

  • यीशु मसीह के सुसमाचार को जोसफ स्मिथ के माध्यम से पुनः स्थापित किया गया था।

  • अन्य स्वर्गीय दूतों ने पौरोहित्य पुनःस्थापित किया, और जोसफ को यीशु मसीह के गिरजे को व्यवस्थित करने के लिए अधिकृत किया गया।

  • यीशु मसीह जीवित भविष्यवक्ताओं और प्रेरितों के माध्यम से आज भी अपने गिरजे का मार्गदर्शन करता है।

मॉरमन की पुस्तक: यीशु मसीह की अन्य गवाही

  • मॉरमन की पुस्तक प्राचीन काल में अमेरिका में भविष्यवक्ताओं द्वारा लिखा गया पवित्र शास्त्र है। जोसफ स्मिथ ने परमेश्वर के उपहार और शक्ति से इसका अनुवाद किया।

  • बाइबिल के साथ, मॉरमन की पुस्तक हमारे उद्धारकर्ता यीशु की सेवकाई, शिक्षाओं और मिशन की गवाही प्रदान करती है।

  • हम मॉरमन की पुस्तक को पढ़कर और उसके उपदेशों का पालन करके परमेश्वर के करीब पहुंच सकते हैं।

  • हम इसे पढ़कर, उस पर विचार करके और उसके बारे में प्रार्थना करके यह जान सकते हैं कि मॉरमन की पुस्तक परमेश्वर का वचन है। इस तरह हमें यह जानने में भी मदद मिलेगी कि जोसफ स्मिथ एक भविष्यवक्ता थे।

पवित्र आत्मा के माध्यम से सच्चाई जानने के लिए प्रार्थना करें

  • प्रार्थना परमेश्वर और उसके बच्चों के बीच दोतरफा बातचीत का माध्यम है।

  • सच्ची प्रार्थना के माध्यम से, हम जान सकते हैं कि यीशु मसीह के सुसमाचार की पुन:स्थापना का संदेश सच्चा है।

  • जब हम प्रार्थना करते हैं, तब पवित्र आत्मा हमें सच्चाई सिखाती और उसकी पुष्टि करती है।

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प्रचारक युवाओं को सिखा रहे हैं

प्रश्न जो आप लोगों से पूछ सकते हैं

निम्नलिखित प्रश्न इस बात के उदाहरण हैं कि आप लोगों से क्या पूछ सकते हैं। ये प्रश्न आपको सार्थक बातचीत करने और किसी व्यक्ति की जरूरतों और परिप्रेक्ष्य को समझने में मदद कर सकते हैं।

  • आप परमेश्वर के बारे में क्या विश्वास करते हैं?

  • परमेश्वर के करीब आने से आपको कैसे मदद मिलेगी?

  • आप यीशु के बारे में क्या जानते हैं? उसके जीवन और शिक्षाओं ने आपको किस प्रकार प्रभावित किया है?

  • आज की भ्रमित करने वाली दुनिया में आप विश्वसनीय उत्तर कैसे पा सकते हैं?

  • यह जानने में आपको कैसे मदद मिलेगी कि आज पृथ्वी पर कोई जीवित भविष्यवक्ता है?

  • क्या आपने मॉरमन की पुस्तक के बारे में सुना है? क्या हम बता सकते हैं कि यह महत्वपूर्ण क्यों है?

  • क्या आप प्रार्थना के बारे में अपने विश्वास को साझा करेंगे? क्या हम प्रार्थना के बारे में अपने विश्वास को साझा कर सकते हैं?

आमंत्रण जो आप दे सकते हैं

  • क्या आप प्रार्थना में परमेश्वर से यह जानने की कोशिश करेंगे कि हमने जो सिखाया है वह सच है? (इस पाठ के अंतिम भाग में “शिक्षा अंतर्दृष्टि: प्रार्थना” देखें।)

  • हमने जो सिखाया है उसके बारे में और अधिक जानने के लिए क्या आप इस रविवार गिरजे में जाएंगे?

  • क्या आप मॉरमन की पुस्तक पढ़ेंगे और यह जानने के लिए प्रार्थना करेंगे कि यह परमेश्वर का वचन है? (आप विशेष अध्याय या पद पढ़ने का सुझाव दे सकते हैं।)

  • क्या आप यीशु के उदाहरण का अनुसरण करेंगे और बपतिस्मा लेंगे? (देखें “(बपतिस्मा लेने और पुष्टिकरण का आमंत्रण,” जो इस पाठ से तुरंत पहले आता है।)

  • क्या हम अपनी अगली भेंट के लिए कोई समय निर्धारित कर सकते हैं?

सैद्धांतिक आधार

यह खंड आपके ज्ञान और सुसमाचार की गवाही को मजबूत करने और आपको पढ़ने में मदद करने के लिए सिद्धांत और पवित्र शास्त्र प्रदान करता है।

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परिवार

परमेश्वर हमें प्यार करने वाला स्वर्गीय पिता हैं

परमेश्वर हमारा स्वर्गीय पिता है, और हम उसकी संतान हैं। उसने हमें अपने स्वरूप में बनाया है। उसके पास महिमा, परिपूर्ण “मानव के समान मांस और हड्डियों का शरीर” है (सिद्धांत और अनुबंध 130:22)।

परमेश्वर हमें व्यक्तिगत रूप से जानता है, और वह हमसे जितना हम समझ सकते हैं उससे कहीं अधिक प्यार करता है। वह हमारे परीक्षाओं, दुखों और कमजोरियों को समझता है, और वह उनके माध्यम से हमारी सहायता करता है। वह हमारी प्रगति से प्रसन्न होता है और हमें सही चुनाव करने में मदद करेगा। वह हमसे बात करना चाहता है, और हम प्रार्थना के माध्यम से उससे बात कर सकते हैं।

परमेश्वर ने हमें पृथ्वी पर यह अनुभव दिया है ताकि हम सीख सकें, बढ़ सकें और उसके समान बन सकें। संपूर्ण प्रेम के साथ, वह चाहता है कि मरने के बाद हम सभी उसके पास लौट आएं। हालांकि, हम यह काम अपने आप नहीं कर सकते। क्योंकि परमेश्वर हमसे प्रेम करता है, उसने हमें मुक्ति दिलाने के लिए अपने पुत्र, यीशु मसीह को भेजा। “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, …ताकि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए (यूहन्ना 3:16)।

परमेश्वर हमें शांति और आनंद की भरपूरी आशीषें देना चाहता हैं जो अनंत जीवन तक रहेगी। उसने एक योजना प्रदान की है जो हमें ये आशीषें प्राप्त करने का अवसर देती है। इस योजना को उद्धार की योजना कहा जाता है (देखें पाठ 2)।

पवित्र शास्त्र अध्ययन

इस नियम के बारे में अधिक जानें

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मूसा और पट्टियां, जैरी हार्स्टन द्वारा

परमेश्वर प्रत्येक व्यवस्था में भविष्यवक्ताओं के माध्यम से सुसमाचार को प्रकट करता है

भविष्यवक्ता पृथ्वी पर परमेश्वर के प्रतिनिधि हैं

परमेश्वर हमारे प्रति अपना प्रेम दिखाने के लिए भविष्यवक्ताओं को नियुक्त करता है, उन्हें पौरोहित्य का अधिकार देता है और उन्हें अपनी बात बोलने के लिए प्रेरित करता है। भविष्यवक्ता पृथ्वी पर परमेश्वर के प्रतिनिधि हैं। पुराने नियम के भविष्यवक्ता आमोस ने लिखा है कि “इसी प्रकार से प्रभु यहोवा अपने दास भविष्यवक्ताओं पर अपना मर्म बिना प्रगट किए कुछ भी न करेगा।” (आमोस 3:7)। जीवित भविष्यवक्ताओं से हमें जो कुछ आशीषें प्राप्त होती हैं उनमें से कुछ की रूपरेखा नीचे दी गई है।

यीशु मसीह के गवाह। भविष्यवक्ता यीशु मसीह के विशेष गवाह हैं, जो हमारे उद्धारकर्ता और मुक्तिदाता की गवाही देते हैं।

शिक्षा हमारे लिए भविष्यवक्ताओं को झूठ और सच्चाई को पहचानने में मदद करने के लिए परमेश्वर से निर्देश प्राप्त होते हैं। वे हमें परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना और गलती करने पर पश्चाताप करना सिखाते हैं। वे पाप की निंदा करते हैं और उसके परिणामों की चेतावनी देते हैं।

भविष्यवक्ताओं की शिक्षाए हमें परमेश्वर की ओर ले जाती हैं और हमें वह आशीषें प्राप्त करने में मदद करती हैं जो वह हमारे लिए चाहता है। हमारी सबसे बड़ी सुरक्षा प्रभु के भविष्यवक्ताओं के माध्यम से दिये गये वचनों का पालन करने में है।

पौरोहित्य अधिकारी है। वर्तमान भविष्यवक्ता पृथ्वी पर पीठासीन पौरोहित्य धारक है। पौरोहित्य परमेश्वर का अधिकार और शक्ति है। भविष्यवक्ता के पास परमेश्वर के बच्चों के उद्धार के लिए बोलने और उसके नाम से कार्य करने का अधिकार है।

गिरजा निर्देशन। यीशु मसीह का गिरजा भविष्यवक्ताओं और प्रेरितों की नींव पर बनाया गया है (देखें इफिसियों 2:19–20; 4:11–14)।

प्राचीन समय में भविष्यवक्ता

आदम धरती पर पहला भविष्यवक्ता था। परमेश्वर ने उस पर यीशु मसीह का सुसमाचार प्रकट किया और उसे पौरोहित्य अधिकार दिया। आदम और हव्वा ने अपने बच्चों को ये सच्चाइयां सिखाईं और उन्हें विश्वास विकसित करने और सुसमाचार के अनुसार जीने के लिए प्रोत्साहित किया।

अंततः आदम और हव्वा की आने वाली पीढ़ी ने विद्रोह कर दिया और सुसमाचार से अलग हो गई। इससे ऐसी स्थिति पैदा हुई जिसे सच्चाई से भटकना, या अलग होना कहते है। जब व्यापक धर्मत्याग होता है, तो परमेश्वर अपने पौरोहित्य अधिकार को वापस ले लेता है, जो सुसमाचार के नियमों को सिखाने और प्रशासित करने के लिए आवश्यक है।

पुराने नियम में बडी संख्या में धर्मत्याग के कई उदाहरण लिखे हैं। इन अवधियों को समाप्त करने के लिए, परमेश्वर ने एक अन्य भविष्यवक्ता को नियुक्त करके अपने बच्चों तक पहुंच बनाई। उसने इन भविष्यवक्ताओं के सामने नये सिरे से सुसमाचार की सच्चाइयों को प्रकट किया और उन्हें पौरोहित्य का अधिकार दिया। इनमें से कुछ भविष्यवक्ता नूह, इब्राहीम और मूसा थे। दुख की बात है कि समय के साथ साथ दोहराए गई आदतों में, लोगों ने अंततः भविष्यवक्ताओं को अस्वीकार कर दिया और दूर हो गए।

पवित्र शास्त्र अध्ययन

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  • Guide to the Scriptures, “भविष्यवक्ता

  • Gospel Topics: “भविष्यवक्ता,” “गिरजे की पुनःस्थापना

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हे मेरे पिता, साइमन डेवी द्वारा

यीशु मसीह की सांसारिक सेवकाई और प्रायश्चित

यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र हैं। यीशु और उसका प्रायश्चित हमारे लिए परमेश्वर की योजना का केंद्र हैं। उसके प्रायश्चित में गतसमनी के बगीचे में उसकी पीड़ा, क्रूस पर उसकी पीड़ा और मृत्यु, और उसका पुनरुत्थान शामिल था।

आदम और हव्वा के समय से, लोग अपने उद्धारकर्ता और मुक्तिदाता के रूप में यीशु मसीह के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे। स्वर्गीय पिता ने 2,000 वर्ष पहले यीशु को पृथ्वी पर भेजा था।

यीशु ने एक परिपूर्ण, पापरहित जीवन जीया। उसने अपना सुसमाचार सिखाया और अपने गिरजे की स्थापना की थी। उसने बारह प्रेरितों को नियुक्त किया और उन्हें शिक्षा देने और बपतिस्मा जैसे पवित्र अनुबंध बनाने का पौरोहित्य अधिकार दिया। उसने उन्हें अपने गिरजे का नेतृत्व करने का अधिकार भी दिया।

अपने जीवन के अंत में, यीशु ने गतसमनी में और क्रूस पर चढ़ने के दौरान अपनी पीड़ा के द्वारा हमारे पापों का प्रायश्चित किया। यीशु के प्रायश्चित बलिदान के कारण, हम पश्चाताप करके अपने पापों से शुद्ध हो सकते हैं। इससे हमारे लिए परमेश्वर की उपस्थिति में लौटना और आनंद की परिपूर्णता प्राप्त करना संभव हो जाता है।

यीशु को क्रूस पर चढ़ाए जाने के बाद, स्वर्गीय पिता की शक्ति के द्वारा मृत्यु पर विजय प्राप्त करते हुए, वह पुनर्जीवित हो गया। यीशु के पुनरुत्थान के कारण, हम सभी को मरने के बाद पुनर्जीवित होंगे। इसका मतलब यह है कि प्रत्येक व्यक्ति की आत्मा और शरीर फिर से एकजुट हो जाएंगे, और हम में से प्रत्येक एक पूर्ण, पुनरुत्थान शरीर में हमेशा के लिए रहेगा। (देखें “यीशु मसीह का प्रायश्चित”पाठ 2।)

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भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ ने हमें सिखाया, “हमारे धर्म के मौलिक नियम, यीशु मसीह के विषय में, प्रेरितों और भविष्यवक्ताओं की गवाही हैं, कि वह मर गया, दफन किया गया, और तीसरे दिन फिर जी उठा, और स्वर्ग में चढ़ गया था; और अन्य सभी बातें जो हमारे धर्म से संबंधित हैं, केवल इसकी परिशिष्ट हैं”(Teachings of Presidents of the Church: Joseph Smith [2007], 49)।

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विश्वास का पतन

यीशु मसीह की मृत्यु के बाद, उनके प्रेरितों ने मसीह के सिद्धांत को शुद्ध रखने और गिरजे में व्यवस्था बनाए रखने का काम किया। हालांकि, गिरजे के कई सदस्य प्रेरितों और यीशु द्वारा सिखाए गए सिद्धांत से दूर हो गए।

प्रेरितों के मारे जाने के बाद, यीशु मसीह के सुसमाचार और गिरजे से बडी संख्या में लोगों का दूर होना शुरू हो गया। इस पतन को कभी-कभी विशाल धर्मत्याग कहा जाता है। इसके कारण, परमेश्वर ने पृथ्वी से पौरोहित्य अधिकार वापस ले लिया। इस हानि में गिरजे को निर्देशित करने के लिए आवश्यक अधिकार भी शामिल था। इसका परिणाम, पौरोहित्य अधिकार और गिरजा जिसे यीशु ने स्थापित किया था, तब पृथ्वी पर नहीं था।

इस समय के दौरान, लोगों ने सुसमाचार और शिक्षाओं को बदल दिया। स्वर्गीय पिता, यीशु मसीह और पवित्र आत्मा की वास्तविक प्रकृति के बारे में अधिकांश ज्ञान विकृत या खो गया था। लोगों ने बपतिस्मा जैसे पौरोहित्य विधियों को भी बदल दिया।

सदियों बाद, सच्चाई की खोज करने वाले पुरुषों और महिलाओं ने बदली हुई शिक्षाओं और प्रथाओं को सुधारने का प्रयास किया। उन्होंने अधिक आत्मिक प्रकाश की तलाश की, और उनमें से कुछ ने सच्चाई की पुनःस्थापना की आवश्यकता के बारे में बात की। उनके प्रयासों से कई गिरजों का संगठन हुआ।

इस अवधि के परिणामस्वरूप धार्मिक स्वतंत्रता पर जोर बढ़ा, जिसने परमेश्वर से सच्चाई और अधिकार की पुनःस्थापना का रास्ता खोल दिया।

भविष्यवक्ताओं और प्रेरितों ने पतन की भविष्यवाणी की थी (देखें 2 थिस्सलुनीकियों 2:1–3)। उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की थी कि यीशु मसीह के सुसमाचार और गिरजे को पृथ्वी पर फिर से पुनःस्थापित किया जाएगा (देखें प्रेरितो के काम 3:20–21)। यदि पतन न हुआ होता तो पुन: स्थापना की आवश्यकता न होती।

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जोसफ स्मिथ के माध्यम से यीशु मसीह के सुसमाचार की पुनःस्थापना हुई

प्रथम दिव्यदर्शन और भविष्यवक्ता के रूप में जोसफ स्मिथ की नियुक्ति

इन सदियों के दौरान जब यीशु मसीह के सुसमाचार की परिपूर्णता पृथ्वी पर नहीं थी, तब भी स्वर्गीय पिता ने अपने बच्चों तक पहुंचना जारी रखा। समय के साथ, उसने रास्ता तैयार किया ताकि वे फिर से उसके सुसमाचार की परिपूर्णता से आशीषित हो सकें। जब परिस्थितियां सही थीं, तो उन्होंने जोसफ स्मिथ को एक भविष्यवक्ता के रूप में नियुक्त किया, जिसके माध्यम से सुसमाचार और यीशु मसीह के गिरजे को पुनःस्थापित किया जाएगा।

जोसफ स्मिथ पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका में बड़े धार्मिकता उत्साह वाले समय में रहते थे। उनके परिवार के सदस्य परमेश्वर के प्रति समर्पित थे और सच्चाई की खोज में रहते थे। कई गिरजों ने सच्चाई होने का दावा किया, और जोसफ जानना चाहता था कि कौन सा सही था (देखें जोसफ स्मिथ-इतिहास 1:18)। बाइबल सिखाती है कि “एक ही प्रभु, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा” (इफिसियों 4:5)। जब जोसफ अलग-अलग गिरजों में जाता था, तो वह असमंजस में था कि किस गिरजे में शामिल होना चाहिए। उसने बाद में कहा:

“विभिन्न संप्रदायों के बीच भ्रम और मतभेद इतने अधिक थे, कि मेरे जैसे युवा के लिये, जोकि लोगों और इन बातों से बहुत ही अनजान था, किसी निर्णय पर पहुंचना असंभव था कि कौन सही था और कौन गलत । …

“शब्दों की इस लड़ाई और विचारों के कोलाहल के बीच, मैं अक्सर खुद से कहता था: क्या किया जाना चाहिए? इन सभी दलों में से कौन सही है; या, वे सभी एक साथ गलत हैं? यदि उनमें से कोई एक सही है, तो कौन है, और मुझे यह कैसे पता चलेगा?” (जोसफ स्मिथ—इतिहास 1:8, 10)।

कई लोगों की तरह, जोसफ स्मिथ के मन में भी अपनी आत्मा का उद्धार के बारे में प्रश्न थे। वह चाहता था कि उसके पाप क्षमा हो जाएं और वह परमेश्वर के सामने शुद्ध हो जाए। जब उसने विभिन्न गिरजों के बीच सच्चाई की खोज की, तो उसने बाइबिल में पढ़ा था: “यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी”(याकूब 1:5)।

इस मार्ग के कारण, जोसफ ने परमेश्वर से पूछने का फैसला किया कि उसे क्या करना चाहिए। 1820 के वसंत में, वह अपने घर के पास पेड़ों के झुंड में गया और प्रार्थना में घुटनों के बल बैठ गए। इसके बाद दिव्यदर्शन के चार विवरण हैं, जो जोसफ स्मिथ द्वारा या उनके निर्देशन में लेखकों द्वारा लिखे गए हैं (देखें Gospel Topics Essays, “First Vision Accounts”)। पवित्र शास्त्र के रूप में प्रमाणित वृतांत में उसने अपने अनुभव का वर्णन इस प्रकार किया:

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प्रथम दिव्यदर्शन, लिंडा क्रिस्टेंसन और माइकल माल्म द्वारा

“मैंने अपने सिर के ठीक ऊपर प्रकाश का एक स्तंभ देखा, जिसकी चमक सूर्य से तेज थी, जो धीरे-धीरे नीचे आकर मुझ पर ठहर गया। “… जब प्रकाश मेरे ऊपर आकर ठहरा मैंने दो व्यक्तियों को देखा, जिनकी चमक और महिमा का वर्णन करना कठिन है, मेरे ऊपर हवा में खड़े थे। उन में से एक ने मुझे से मेरा नाम लेकर पुकारा और कहा, दुसरे की ओर इशारा करते हुए—यह मेरा प्रिय पुत्र है। उसे सुनो!जोसफ स्मिथ—इतिहास 1:16–17.

इस दिव्यदर्शन में, पिता परमेश्वर और उनके पुत्र, यीशु मसीह, जोसफ स्मिथ को दिखाई दिए। उद्धारकर्ता ने उससे कहा कि वह किसी भी गिरजे में शामिल न हो।

इस दिव्यदर्शन के अन्य विवरण में, जोसफ ने साझा किया कि उद्धारकर्ता ने उससे यह भी कहा था: “तुम्हारे पाप क्षमा कर दिए गए हैं। … देखो, मैं महिमा का प्रभु हूं । मुझे संसार के कारण क्रूस पर चढ़ाया गया था, ताकि वे सब जो मुझ में विश्वास करते हैं अनंत जीवन पाएं ।”

दिव्यदर्शन के बाद, जोसफ ने बताया था, “मेरी आत्मा प्रेम से भर गई थी, और कई दिनों तक मैं बहुत खुशी से आनन्दित रहा और प्रभु मेरे साथ था” (Joseph Smith History, circa Summer 1832, 3, josephsmithpapers.org; वर्तनी और विराम चिह्न का आधुनिकीकरण किया गया है)।

इस दिव्यदर्शन के माध्यम से, जोसफ स्मिथ यीशु मसीह के गवाह बने और परमेश्वरत्व के बारे में महत्वपूर्ण सच्चाइयों को सीखा। उदाहरण के लिए, उसने सीखा कि स्वर्गीय पिता और यीशु मसीह अलग-अलग व्यक्ति हैं। जब उन्होंने उसे नाम से बुलाया, तो उसे पता चला कि वे उसे व्यक्तिगत रूप से जानते थे। जब जोसफ को बताया गया कि उसे माफ कर दिया गया है, तो उसे पता चला कि परमेश्वर दयालु था। इस अनुभव ने उसे खुशी से भर दिया।

जो परमेश्वर ने पिछले कई भविष्यवक्ताओं के द्वारा किया था, उसने जोसफ स्मिथ को भविष्यवक्ता नियुक्त किया जिसके माध्यम से सुसमाचार की परिपूर्णता पृथ्वी पर पुन:स्थापित की जाएगी। यह पुन:स्थापना परमेश्वर के बच्चों को इस दुनिया में खुशी और आने वाले दुनिया में अनन्त जीवन पाने में मदद करेगी —यीशु मसीह के माध्यम से।

पौरोहित्य और पौरोहित्य कुंजियों की स्थापना

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तुम पर मेरे साथी सेवकों, लिंडा कर्ली क्रिस्टनसन और माइकल टी. माल्म द्वारा

पिता और पुत्र के दिखाई देने के बाद, अन्य स्वर्गीय दूतों को जोसफ स्मिथ और उनके सहयोगी ओलिवर काउडरी के पास भेजा गया। यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला पुनर्जीवित देह में प्रकट हुआ और उन्हें हारूनी पौरोहित्य और इसकी कुंजियां प्रदान कीं। हारूनी पौरोहित्य में बपतिस्मा देने का अधिकार शामिल है।

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The Voice of Peter, James, and John, वेल्डेन सी. एंडरसन द्वारा

इसके तुरंत बाद, पतरस, याकूब और यूहन्ना -यीशु मसीह के तीन मूल प्रेरित - पुनर्जीवित देह में प्रकट हुए और जोसफ स्मिथ और ओलिवर काउडरी को मेल्कीसेदेक पौरोहित्य और इसकी कुंजियां प्रदान कीं। यह पौरोहित्य वही अधिकार है जो मसीह ने प्राचीन समय में अपने प्रेरितों को दिया था।

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Image of Moses Elias and Elijah descending into the Kirtland temple and appearing to Joseph Smith.

कर्टलैंड मंदिर में, मूसा, एलियास और एलिजा जोसफ स्मिथ और ओलिवर काउडरी के सामने प्रकट हुए और उन्हें अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य को पूरा करने के लिए आवश्यक अतिरिक्त अधिकार और पौरोहित्य कुंजियां सौंपीं। मूसा ने इस्राएल को एकत्रित करने की कुंजियां सौंपी थी। इलियास ने इब्राहीम के सुसमाचार का प्रबंध सौंपा था। एलिय्याह ने मुहरबंदी शक्ति की कुंजियां सौंपी थी। (देखें सिद्धांत और अनुबंध 110:11-16; देखें सामान्य विवरण पुस्तिका, 3.1.4।)

गिरजे का संगठन

जोसफ स्मिथ को पृथ्वी पर यीशु मसीह के गिरजे को फिर से संगठित करने का निर्देश दिया गया। उसके माध्यम से, यीशु मसीह ने बारह प्रेरितों को नियुक्त किया।

बाइबिल के समय में भविष्यवक्ताओं ने उस समय का उल्लेख किया जिसमें हम अंतिम दिनों या बाद के दिनों के रूप में रहते हैं। यह यीशु मसीह के द्वितीय आगमन से ठीक पहले का समय है। इसीलिए गिरजे का नाम अंतिम-दिनों के संतों का यीशु मसीह का गिरजा रखा गया है (देखें सिद्धांत और अनुबंध 115:3–4; यह भी देखें नेफी 5:1–3) ।

आज के जीवित भविष्यवक्ता और प्रेरित

जिस प्रकार यीशु ने अपने नश्वर सेवकाई के दौरान अपने गिरजे का नेतृत्व करने के लिए प्रेरितों को नियुक्त किया था, उसी प्रकार उसने आज भी इसका नेतृत्व करने के लिए प्रेरितों को नियुक्त किया है। प्रथम अध्यक्षता और बारह प्रेरितों की परिषद भविष्यवक्ता, दिव्यदर्शी और प्रकटीकर्ता हैं।

केवल वरिष्ठ प्रेरित को ही भविष्यवक्ता कहा जाता है क्योंकि वह पूरे गिरजे की अध्यक्षता करता है और प्रभु के लिए बोलने के लिए विशेष रूप से अधिकृत है। वह जोसफ स्मिथ के अधिकृत उत्तराधिकारी हैं। वह और वर्तमान प्रेरित, विधियों की एक अटूट श्रृंखला में यीशु मसीह के प्रति अपने अधिकार का पता रखते हैं, जो तब शुरू हुआ जब जोसफ स्मिथ को स्वर्गीय दूतों के हाथों नियुक्त किया गया था।

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मॉरमन की पुस्तक: यीशु मसीह की अन्य गवाही

मॉरमन की पुस्तक बाइबिल की तरह पवित्र शास्त्र का एक प्राचीन खंड है। बाइबल यीशु मसीह की एक गवाह है, और मॉरमन की पुस्तक उसकी सेवकाई, शिक्षाओं और हमारे उद्धारकर्ता के रूप में उसके मिशन की दूसरी गवाह है।

जोसफ स्मिथ को मोरोनी स्वर्गीय दूत ने पहाड़ी पर निर्देशित किया था जहां सदियों से एक प्राचीन अभिलेख दबाया गया था। सोने की पट्टियों (धातु की पतली पट्टियां) पर अंकित इस अभिलेख में अमेरिका के कुछ प्राचीन निवासियों के साथ परमेश्वर के व्यवहार के बारे में भविष्यवक्ताओं के लेख शामिल थे। जोसफ स्मिथ ने परमेश्वर के उपहार और शक्ति से इस अभिलेख का अनुवाद किया।

मॉरमन की पुस्तक में भविष्यवक्ताओं को यीशु मसीह के मिशन के बारे में पता था और उन्होंने उसका सुसमाचार सिखाया था। यीशु के पुनर्जीवित होने के बाद, इन लोगों के सामने प्रकट हुआ और व्यक्तिगत रूप से उनकी सेवा की। उसने उन्हें शिक्षा दी और अपने गिरजे की स्थापना की थी।

मॉरमन की पुस्तक हमें परमेश्वर के करीब आने में मदद करती है जब हम इसकी शिक्षाओं को सीखते, समझते और लागू करते हैं। भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ ने कहा था कि “पुरुष [या महिला] किसी भी अन्य पुस्तक की तुलना में, इसके उपदेशों का पालन करके परमेश्वर के नजदीक पहुंच जाएगा” (शिक्षाएं: जोसफ स्मिथ64)।

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पढ़ता हुआ पुरुष

यह जानने के लिए कि मॉरमन की पुस्तक परमेश्वर का वचन है, हमें इसे पढ़ने, इस पर विचार करने और इसके बारे में प्रार्थना करने की आवश्यकता है। मॉरमन की पुस्तक के भविष्यवक्ता ने वादा किया था कि जब हम सच्चे दिल से, वास्तविक इरादे से और मसीह में विश्वास के साथ प्रार्थना करते हैं तो परमेश्वर उस पुस्तक की सच्चाई हमारे सामने प्रकट करेंगा (देखें मोरोनी 10:3–5)। स्थायी परिवर्तन के लिए मॉरमन की पुस्तक का अध्ययन आवश्यक है।

जब हम मॉरमन की पुस्तक पढ़ते हैं और उसके बारे में प्रार्थना करते हैं, तब हम यीशु मसीह के बारे में सच्चाई सीखेंगे जो हमारे जीवन को आशीष देगी। हमें यह भी पता चलेगा कि जोसफ स्मिथ परमेश्वर का भविष्यवक्ता था और उसके माध्यम से सुसमाचार और यीशु मसीह के गिरजे को पुनःस्थापित किया गया है।

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अध्यक्ष रसल एम. नेलसन

“मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, मैं आपसे वादा करता हूं कि जब आप प्रतिदिन, मॉरमन की पुस्तक का प्रार्थनापूर्वक अध्ययन करते हैं, तो आप—प्रतिदिन बेहतर निर्णय लेंगे है। मैं आपसे प्रतिज्ञा करता हूं कि जब आप अपने किए हुए अध्ययन पर मनन करते हैं, तो स्वर्ग की खिड़कियां आपके लिए खुल जाएंगी और आपको स्वयं के प्रश्नों के उत्तर और स्वयं के जीवन के लिये निर्देशन प्राप्त होगा। मैं आपसे वादा करता हूं कि यदि आप प्रतिदिन स्वयं को मॉरमन की पुस्तक में डुबो दें, तो आप पर दैनिक बुराइयों का कोई असर नहीं होगा (रसल एम. नेल्सन, “The Book of Mormon: What Would Your Life Be Like without It?लिआहोना, नवम्बर. 2017, 62–63।

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महिला प्रार्थना करते हुए

पवित्र आत्मा के माध्यम से सच्चाई जानने के लिए प्रार्थना करें

क्योंकि परमेश्वर हमारा पिता है, वह सच्चाई को पहचानने में हमारी सहायता करेगा। जब हम मॉरमन की पुस्तक पढ़ते हैं और परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं तो हम जान सकते हैं कि यीशु मसीह के सुसमाचार की पुन: स्थापना का संदेश सच्चा है। जब हम विश्वास और वास्तविक इरादे से प्रार्थना करते हैं, तो वह हमारे सवालों का जवाब देगा और हमारे जीवन का मार्गदर्शन करेगा।

परमेश्वर आमतौर पर पवित्र आत्मा के माध्यम से हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर देता हैं। जब हम प्रार्थना करते हैं, तब पवित्र आत्मा सच्चाई सिखाती है और उसकी पुष्टि करती है। पवित्र आत्मा से बात करना महान हैं। वे आम तौर पर हमारी भावनाओं, विचारों और सोच के माध्यम से शांत आश्वासन के रूप में आते हैं (देखें 1 राजा 19:11–12; हिलामन 5:30; सिद्धांत और अनुबंध8:2)।

पवित्र शास्त्रों (विशेष रूप से मॉरमन की पुस्तक) का लगातार अध्ययन, साप्ताहिक प्रभु भोज सभा में उपस्थिति, और विश्वास से प्रार्थना हमें पवित्र आत्मा की शक्ति को महसूस करने और सच्चाई की खोज करने में मदद करती है।

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लघु से मध्यम पाठ की रूपरेखा

निम्नलिखित रूपरेखा इस बात का एक नमूना है कि यदि आपके पास थोड़ा सा समय हो तो आप किसी को क्या सिखा सकते हैं। इस रूपरेखा का उपयोग करते समय, सिखाने के लिए एक या अधिक सिद्धांतों का चयन करें। प्रत्येक सिद्धांत के लिए सैद्धांतिक आधार पाठ में पहले से दिया गया है।

जब आप सिखाते हैं, तब प्रश्न पूछें और सुनें। आमंत्रण दें जिससे लोगों को यह सीखने में मदद मिलेगी कि परमेश्वर के करीब कैसे बढ़ें। एक महत्वपूर्ण आमंत्रण उस व्यक्ति के लिए आपसे दोबारा मिलने का है। पाठ की अवधि आपके द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों और आपके द्वारा सुने जाने पर निर्भर करेगी।

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प्रचारक पुरुष से बात कर रहे हैं

आप 3-10 मिनट में लोगों को क्या सिखा सकते हैं

  • परमेश्वर हमारा स्वर्गीय पिता है, और उसने हमें अपनी छवि में बनाया है। वह हमें व्यक्तिगत रूप से जानता है और हमसे प्यार करता है। वह हमें शांति और आनंद की भरपूरी आशीषें देना चाहता हैं जो अनंत जीवन तक रहेगी।

  • यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र हैं। उसका मिशन हमें पापों से शुद्ध करना, मृत्यु पर विजय पाना और अनन्त जीवन प्राप्त करना संभव बनाना था।

  • परमेश्वर भविष्यवक्ताओं को पृथ्वी पर अपने प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त करता है। प्राचीन समय में, उस ने आदम, नूह, इब्राहीम और मूसा जैसे भविष्यवक्ताओं को नियुक्त किया था। जीवित भविष्यवक्ता हमें सिखाने और हमारा मार्गदर्शन करने के लिए परमेश्वर से प्रकटीकरण प्राप्त करते है।

  • यीशु के नश्वर सेवकाई के दौरान, उन्होंने अपने गिरजे की स्थापना की थी। यीशु के प्रेरितों की मृत्यु के बाद, यीशु मसीह के सुसमाचार और गिरजे से बडी संख्या पर विश्वास का पतन हुआ। लोगों ने बपतिस्मा जैसी कई सुसमाचार शिक्षाओं और पौरोहित्य विधियों को बदल दिया था।

  • परमेश्वर ने जोसफ स्मिथ को भविष्यवक्ता बनने के लिए नियुक्त किया, ठीक वैसे ही जैसे उसने पहले के समय में भविष्यवक्ताओं को नियुक्त किया था। स्वर्गीय पिता और यीशु मसीह उसके सामने प्रकट हुए थे। यीशु मसीह के सुसमाचार को उसके के माध्यम से पुनःस्थापित किया गया था।

  • मॉरमन की पुस्तक पवित्र शास्त्र का संस्करण है। बाइबल की तरह, यह यीशु मसीह का अन्य नियम है और जब हम इसे पढ़ते हैं और इसके उपदेशों को लागू करते हैं तो यह हमें परमेश्वर के करीब आने में मदद करता है। जोसफ स्मिथ ने परमेश्वर के उपहार और शक्ति से इसका अनुवाद किया।

  • सच्ची प्रार्थना के माध्यम से हम परमेश्वर से बात कर सकते हैं। हम जान सकते हैं कि यीशु मसीह के सुसमाचार की पुन:स्थापना का संदेश सच्चा है।