पवित्रशास्त्र
3 नफी 11


जब संपन्न प्रदेश में भीड़ एकत्रित होती है तब यीशु मसीह नफी के लोगों पर स्वयं को प्रकट करता है, और उनकी सेवा करता है; और इस समय वह स्वयं को उन पर प्रकट करता है ।

11 से 26 अध्यायों सहित ।

अध्याय 11

पिता अपने प्रिय पुत्र की गवाही देता है—मसीह दिखाई देता है और अपने प्रायश्चित की घोषणा करता है—लोग उसके हाथों और पैरों और बगल के घावों को महसूस करते हैं—वे होशाना पुकारते हैं—वह बपतिस्मा के ढंग और तरीके को व्यवस्थित करता है—मतभेद की आत्मा शैतान की है—मसीह का सिद्धांत है कि लोग विश्वास करें और बपतिस्मा लें और पवित्र आत्मा प्राप्त करें । लगभग 34 ईसवी ।

1 और ऐसा हुआ कि संपन्न प्रदेश में जो मंदिर था उसके आस-पास नफी के लोगों की एक भारी भीड़ एक साथ एकत्रित हो गई; और वे एक दूसरे के साथ अचम्भीत और आश्चर्यचकित हो रहे थे, और उन महान और अदभुत बदलावों के बारे में एक दूसरे को दिखा रहे थे ।

2 और वे इस यीशु मसीह के विषय में भी बातचीत कर रहे थे जिसकी मृत्यु के संबंध में चिन्ह दिए थे ।

3 और ऐसा हुआ कि जब वे इस तरह से एक दूसरे के साथ बातचीत कर रहे थे, उन्होंने एक वाणी सुनी मानो स्वर्ग से आ रही हो; और उन्होंने अपने आसपास देखा क्योंकि जिस वाणी को उन्होंने सुना था वे उसे समझ नहीं पाए; और न तो वह वाणी कठोर थी और न ही तेज; फिर भी, धीमी वाणी होने के बावजूद उनके हृदयों पर इतना असर किया कि उनके शरीर का ऐसा कोई भी हिस्सा नहीं था जिसमें कंपकंपाहट नहीं हुई; हां, इससे उनकी आत्मा पर असर हुआ, और उनके हृदयों को जलाने लगी ।

4 और ऐसा हुआ कि फिर से उन्होंने वाणी सुनी, और उन्हें समझ नहीं आया ।

5 और फिर से उन्होंने तीसरी बार वाणी सुनी, और उसे सुनने के लिए अपने कान खड़े कर लिए; और उनकी आंखें वहीं थीं जहां से वाणी आ रही थी; और उनकी आंखें स्वर्ग की ओर स्थिर हो गईं जहां से वाणी आ रही थी ।

6 और देखो, तीसरी बार वे उस वाणी को समझ गए जिसे सुना था; और उसने उनसे कहा:

7 देखो मेरे प्रिय पुत्र, जिससे मैं बहुत प्रसन्न हुआ हूं, जिसमें मैंने अपने नाम को गौरान्वित किया है—तुम उसे सुनो ।

8 और ऐसा हुआ कि जब वे समझ गए उन्होंने फिर से अपनी आंखों को स्वर्ग की तरफ उठा लिया; और देखो, उन्होंने स्वर्ग से एक मनुष्य को नीचे उतरते देखा; और उसने सफेद वस्त्र पहना था; और वह नीचे आया और उनके बीच में खड़ा हो गया; और पूरी भीड़ की आंखें उस पर टिक गईं, और वे अपना मुंह खोलने का साहस न कर सके, यहां तक कि एक दूसरे से बात भी न कर सके, और उसका अर्थ भी नहीं समझ पाए क्योंकि उन्होंने सोचा कि जो उन्हें दिखाई दे रहा है वह एक स्वर्गदूत है ।

9 और ऐसा हुआ कि उसने अपना हाथ फैलाया और यह कहते हुए लोगों से बोला:

10 देखो, मैं यीशु मसीह हूं, जिसके विषय में भविष्यवक्ताओं ने गवाही दी थी कि वह स्वर्ग से आएगा ।

11 और देखो, मैं ही संसार की ज्योति और जीवन हूं; और मैंने उस कड़वे प्याले को पिया है जिसे पिता ने मुझे दिया था, और संसार के पापों को अपने ऊपर लेकर मैंने पिता को गौरान्वित किया है, जिसमें मैंने आरंभ से लेकर हर बात में पिता की इच्छा को पूरा किया है ।

12 और ऐसा हुआ कि जब यीशु ने इन बातों को कह लिया तब पूरी भीड़ धरती पर गिर पड़ी; क्योंकि उन्हें याद आ गया कि उनके बीच में भविष्यवाणी की गई थी कि स्वर्ग में अपने क्रूसारोहण के पश्चात मसीह स्वयं को उन पर प्रकट करेगा ।

13 और ऐसा हुआ कि यह कहते हुए प्रभु ने उनसे बात की:

14 उठो और मेरे पास आओ, ताकि तुम अपने हाथों को मेरे बगल में डाल सको, और मेरे हाथों और पैरों के कीलों के निशान को महसूस कर सको, ताकि तुम जान सको कि मैं ही इस्राएल का परमेश्वर हूं, और पूरी पृथ्वी का परमेश्वर हूं, और मैं संसार के पापों के लिए मारा गया था ।

15 और ऐसा हुआ कि भीड़ आगे बढ़ी, और उसके बगल में अपने हाथों को डाला, और उसके हाथों और पैरों के कीलों के निशान को महसूस किया; और ऐसा उन्होंने वातस्व में तब तक किया जब तक कि उनमें से हर एक ने ऐसा न कर लिया, और अपनी आंखों से देखा और अपने हाथों से महसूस किया, और इसकी निश्चितता को जाना और इसकी गवाही दी, कि यह वही है जिसके आने के विषय में भविष्यवक्ताओं ने लिखा था ।

16 और जब सारे लोगों ने जाकर स्वयं इसे देख लिया, यह कहते हुए वे एक स्वर में पुकारने लगे:

17 होशाना ! सर्वोच्च परमेश्वर का नाम आशीषित हो ! और वे यीशु के पैरों के पास गिर गए, और उसकी आराधना करने लगे ।

18 और ऐसा हुआ कि उसने नफी से बात की (क्योंकि नफी भीड़ के बीच में था) और उसने उसे आगे आने की आज्ञा दी ।

19 और नफी उठा और आगे आया, और स्वयं को प्रभु के सामने झुका लिया और उसके पैरों को चूमा ।

20 और प्रभु ने उसे उठने की आज्ञा दी । और वह उठा और उसके सामने खड़ा हो गया ।

21 और प्रभु ने उससे कहा: मैं तुम्हें अधिकार देता हूं कि जब मैं फिर से स्वर्ग चला जाऊं तब तुम इन लोगों का बपतिस्मा करना ।

22 और फिर से प्रभु ने दूसरे लोगों को बुलाया, और इसी प्रकार उनसे भी कहा; और उसने उन्हें बपतिस्मा लेने का अधिकार दिया । और उसने उनसे कहा: इस प्रकार तुम बपतिस्मा लोगे; और तुम्हारे बीच कोई मतभेद नहीं होगा ।

23 मैं तुमसे सच कहता हूं कि जो कोई भी तुम्हारी बातों को सुनकर अपने पापों का पश्चाताप करेगा, और मेरे नाम में बपतिस्मा लेने की इच्छा करेगा, इस प्रकार तुम उसे बपतिस्मा दोगे—देखो, तुम जाओगे और पानी में खड़े रहोगे, और मेरे नाम में तुम उन्हें बपतिस्मा दोगे ।

24 और अब देखो, यही वे शब्द हैं जिन्हें तुम कहोगे, उनका नाम लेकर, यह कहते हुए:

25 यीशु मसीह का जो अधिकार मुझे दिया गया है, मैं तुम्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम में बपतिस्मा देता हूं । आमीन ।

26 और तब तुम उन्हें पानी में डुबाओगे, और फिर से पानी से बाहर निकालोगे ।

27 और इसी प्रकार तुम मेरे नाम से बपतिस्मा दोगे; क्योंकि देखो, मैं तुमसे सच कहता हूं कि पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा एक ही हैं; और मैं पिता में हूं, और पिता मुझमें, और पिता और मैं एक ही हैं ।

28 और जैसे मैंने तुम्हें आज्ञा दी है उसी प्रकार तुम बपतिस्मा दोगे । और तुम्हारे बीच कोई मतभेद नहीं होगा, जैसा कि अब तक होता रहा है; न ही मेरे सिद्धांत की बातों से संबंधित तुम्हारे बीच कोई मतभेद होगा, जैसा कि अब तक होता रहा है ।

29 क्योंकि मैं तुमसे सच सच कहता हूं, जिसके पास मतभेद की आत्मा है वह मेरा नहीं है, परन्तु शैतान का है जो कि सारे मतभेदों का पिता है, और वह लोगों के हृदयों को क्रोध में, एक दूसरे से मतभेद करने के लिए भड़काता है ।

30 देखो, एक दूसरे के विरूद्ध, क्रोध में लोगों के हृदयों को भड़काना मेरा सिद्धांत नहीं है; परन्तु मेरा सिद्धांत इस प्रकार की बातों को दूर करना है ।

31 देखो, मैं तुमसे सच सच कहता हूं, मैं तुम्हें अपना सिद्धांत बताऊंगा ।

32 और यह मेरा सिद्धांत है, और मेरा सिद्धांत वही है जिसे पिता ने मुझे दिया है; और मैं पिता की साक्षी देता हूं, और पिता मेरी साक्षी देता है, और पवित्र आत्मा पिता और मेरी साक्षी देती है; और मैं साक्षी देता हूं कि पिता हर स्थान के लोगों को पश्चाताप करने और मुझमें विश्वास करने की आज्ञा देता है ।

33 और जो मुझमें विश्वास करता है, और बपतिस्मा लेता है, वही बचाया जाएगा; और ये वही लोग हैं जो परमेश्वर के राज्य का उत्तारिधाकारी होंगे ।

34 और जो मुझमें विश्वास नहीं करता है, और बपतिस्मा नहीं लेता है, वह श्रापित होगा ।

35 मैं तुमसे सच सच कहता हूं कि यही मेरा सिद्धांत है, और मैं इसकी गवाही पिता द्वारा देता हूं; और जो मुझमें विश्वास करता है वह पिता में भी करता है; और उसे पिता मेरी गवाही देगा, क्योंकि वह उसे आग और पवित्र आत्मा द्वारा शक्ति देगा ।

36 और इस प्रकार पिता मेरी गवाही देगा, और पवित्र आत्मा उसे पिता की और मेरी गवाही देगी; क्योंकि पिता, और मैं, और पवित्र आत्मा एक ही हैं ।

37 और फिर से मैं तुमसे कहता हूं, तुम्हें पश्चाताप करना होगा, और एक छोटे बच्चे के समान होकर मेरे नाम में बपतिस्मा लेना होगा, या तुम इन चीजों को किसी भी तरीके से प्राप्त नहीं कर सकते ।

38 और फिर से मैं तुमसे कहता हूं, तुम्हें पश्चाताप करना होगा, और मेरे नाम में बपतिस्मा लेना होगा, और एक छोटे बच्चे के समान होना होगा, अन्यथा तुम किसी भी तरीके से परमेश्वर के राज्य का उत्तराधिकारी नहीं हो सकते ।

39 मैं तुमसे सच सच कहता हूं कि यह मेरा सिद्धांत है, और जो कोई इस पर निर्माण करेगा वह मेरी चट्टान पर निर्माण करेगा, और उनके विरूद्ध नरक के द्वार प्रबल नहीं होंगे ।

40 और जो इससे अधिक या इससे कम का प्रचार करेगा, और इसे मेरा सिद्धांत बताएगा, वह बुरे की तरफ से होगा, और वह मेरे चट्टान पर बना हुआ नहीं होगा; परन्तु उसकी नींव रेतीली होगी, और जब बाढ़ और हवाएं उन पर आक्रमण करेंगी तब नरक के द्वार उन्हें अपनाने के लिए खड़े होंगे ।

41 इसलिए, इन लोगों के पास जाओ, और पृथ्वी के सिरों तक उन बातों का प्रचार करो जो मैंने कही हैं ।