पवित्रशास्त्र
1 नफी 17


अध्याय 17

नफी को जहाज बनाने की आज्ञा दी जाती है—उसके भाई उसका विरोध करते हैं—इस्राएल के साथ परमेश्वर के कार्यों के इतिहास को बता कर वह उन्हें उपदेश देता है—नफी परमेश्वर की शक्ति से भर जाता है—उसके भाइयों को उसे छूने से मना किया जाता है, वरना वे सूखे सरकंडे के समान नष्ट हो जाएंगे । लगभग 592–591 ई.पू.

1 और ऐसा हुआ कि हमने निर्जन प्रदेश में फिर से अपनी यात्रा की; और इस समय के बाद हमने लगभग पूर्व दिशा की ओर यात्रा की । और हमने यात्रा की और निर्जन प्रदेश में बहुत कष्टों को पार किया; और हमारी स्त्रियों ने निर्जन प्रदेश में बच्चों को जन्म दिया ।

2 और प्रभु की आशीषें हमारे ऊपर इतनी महान थी, कि निर्जन प्रदेश में रहने के दौरान हम कच्चे मांस पर गुजारा करते थे, हमारी स्त्रियों ने अपने बच्चों को बहुतायात से दूध पिलाया था, और सशक्त थीं, हां, पुरूषों के समान; और उन्होंने अपनी यात्रा बिना बड़बड़ाए शुरू की ।

3 और इस प्रकार हमने देखा कि परमेश्वर की आज्ञाओं को पूरा किया जाना चाहिए । और यदि मानव संतान परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करती हैं तो वह उनका पोषण करेगा, और उन्हें ताकत देगा, और उन्हें साधन देगा जिससे वे उन बातों को पूरा कर सकें जिसकी आज्ञा उसने उन्हें दी है; इसलिए निर्जन प्रदेश में हमारे पड़ाव के दौरान उसने हमें साधन दिए थे ।

4 और हमने उस निर्जन प्रदेश में कई वर्षों तक पड़ाव डाला, हां, आठ वर्षों तक ।

5 और हम उस भूमि पर पहुंचे जिसे हमने संपन्न प्रदेश कहा था, क्योंकि यहां पर बहुत फल और जंगली शहद भी था; और ये सब वस्तुएं प्रभु ने तैयार की थी ताकि हम नष्ट न हों । और हमने उस समुद्र को देखा, जिसका नाम हमने इरियन्टम रखा, जिसका अर्थ होता है, अत्याधिक पानी ।

6 और ऐसा हुआ कि हमने समुद्र के किनारे अपने तंबूओं को लगाया; और यद्यपि हमने कई कष्टों और परेशानियों को सहा था, हां, इतना अधिक कि हम उन सब को नहीं लिख सकते, फिर भी हम समुद्र के किनारे पहुंच कर अत्याधिक खुश थे; और फलों की बहुतायत के कारण हमने उस स्थान को संपन्न प्रदेश कहा था ।

7 और ऐसा हुआ कि जब मैं, नफी, संपन्न प्रदेश की भूमि पर कई दिनों से रहा था, मुझे प्रभु की वाणी यह कहते हुए सुनाई दी: उठो, और तुम पहा़ड़ पर जाओ । और ऐसा हुआ कि मैं उठा और पहाड़ पर चढ़ गया, और प्रभु को पुकारा ।

8 और ऐसा हुआ कि प्रभु ने मुझ से कहा: जैसा मैं तुम्हें दिखाऊंगा उसके अनुसार, तुम एक जहाज बनाओगे, ताकि मैं तुम्हारे लोगों को समुद्र के पार ले जा सकूं ।

9 और मैंने कहा: प्रभु, मैं कहां जाऊं कि मुझे पिघलाने के लिए अयस्क प्राप्त हो, ताकि तुम्हारे दिखाए अनुसार जहाज बनाने के लिए मैं औजार बनाऊं ?

10 और ऐसा हुआ कि प्रभु ने मुझे बताया अयस्क प्राप्त करने के लिए मुझे कहां जाना चाहिए, ताकि मैं औजार बनाऊं ।

11 और ऐसा हुआ कि मैं, नफी, ने आग प्रज्वलित करने के लिए जंगली जानवर की खाल से धौंकनी बनाई, और आग को प्रज्वलित करने के लिए धौंकनी बनाने के बाद, मैंने आग जलाने के लिए दो पत्थरों को आपस में टकराया ।

12 क्योंकि जब से हम निर्जन प्रदेश में यात्रा कर रहे थे, प्रभु ने अभी तक हमें अधिक आग नहीं जलाने दी थी; क्योंकि उसने कहा था: मैं तुम्हारे भोजन को स्वादिष्ट बनाऊंगा, कि तुम्हें इसे पकाना नहीं पड़ेगा;

13 और निर्जन प्रदेश में मैं तुम्हारी ज्योति बनूंगा; और मैं तुम्हारे मार्ग तैयार करूंगा, यदि तुम मेरी आज्ञाओं का पालन करते हो; क्योंकि तुम मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे इसलिए तुम प्रतिज्ञा के प्रदेश की ओर ले जाए जाओगे; और तुम जानोगे कि मैंने तुम्हारा नेतृत्व किया है ।

14 हां, और प्रभु ने यह भी कहा कि: जब तुम प्रतिज्ञा के प्रदेश में पहुंच जाओगे, तुम जानोगे कि मैं, प्रभु, परमेश्वर हूं; और कि मुझ, प्रभु ने, तुम्हें विनाश से बचाया है; हां, कि मैं तुम्हें यरूशलेम की भूमि से निकाल कर लाया था ।

15 इसलिए, मैं, नफी ने, प्रभु की आज्ञाओं का पालन करने का प्रयास किया, और मैंने अपने भाइयों को विश्वसनीयता और परिश्रम के उपदेश दिए थे ।

16 और ऐसा हुआ कि मैंने अयस्क से औजार बनाए जिसे मैंने चट्टान से गलाया था ।

17 और जब मेरे भाइयों ने देखा कि मैं जहाज बनाने वाला हूं, वे मेरे विरूद्ध यह कहकर बड़बड़ाने लगे: हमारा भाई पागल है, क्योंकि वह सोचता है कि वह एक जहाज बना सकता है; और हां, वह यह भी सोचता है कि वह इस महान समुद्र को पार सकता है ।

18 और इस प्रकार मेरे भाइयों ने मेरे विरुद्ध शिकायत की, और चाहते थे कि वे मेहनत न करें, क्योंकि उन्हें विश्वास नहीं था कि मैं जहाज बना सकता हूं; न ही उन्हें विश्वास था कि मुझे प्रभु ने निर्देश दिया था ।

19 और अब ऐसा हुआ कि, मैं, नफी, उनके हृदयों की कठोरता के कारण अत्याधिक दुखी हो गया था; और अब जब उन्होंने देखा कि मैं दुखी होने लगा हूं वे अपने हृदयों में खुश थे, वे इतने खुश हुए कि मुझ से बोले: हम जानते थे कि तुम जहाज नहीं बना सकते हो, क्योंकि हम जानते थे कि तुम में समझ की कमी है; इसलिए, तुम इतना महान कार्य नहीं कर सकते हो ।

20 और तुम हमारे पिता के समान हो, जो कि अपने हृदय की मूर्ख कल्पनाओं द्वारा काम करते हैं; वह हमें यरूशलेम की भूमि से निकालकर लाएं हैं, और हम कई वर्षों से इस निर्जन प्रदेश में भटक रहें हैं; और हमारी स्त्रियों ने बच्चों के बोझ को उठाने में कड़ी मेहनत की है; और उन्होंने इस निर्जन प्रदेश में बच्चों को जन्म दिया है और मृत्यु के सिवाय बाकी सब कष्टों को सहा है; और यह बेहतर होता कि वे यरूशलेम से बाहर निकलने से पहले मर जातीं ताकि उन्हें ये कष्ट न सहने पड़ते ।

21 देखो, इतने वर्ष हमने इस निर्जन प्रदेश में कष्ट सहे हैं, यह समय हमें अपनी पैतृक भूमि में अपनी संपत्तियों का उपभोग करते हुए गुजारना चाहिए था; और हां, हम खुश भी रहते ।

22 और हम जानते हैं कि जो लोग यरूशलेम में थे वे धर्मी लोग थे; क्योंकि मूसा की व्यवस्था के अनुसार, वे के प्रभु नियमों और निर्देशों, और उसकी सभी आज्ञाओं का पालन करते थे; इसलिए, हम जानते हैं कि वे धर्मी लोग हैं; और हमारे पिता ने उनका आंकलन किया, और हमें निकाल लाए क्योंकि हमने उनकी बातों को माना; और हां, हमारा भाई उनके समान है । और इस तरह की भाषा का प्रयोग करते हुए मेरे भाई हमारे विरूद्ध बड़बड़ाते और शिकायत करते थे ।

23 और ऐसा हुआ कि मैं, नफी, ने उनसे कहा: क्या तुम हमारे पूर्वजों पर विश्वास करते हो, जो कि इस्राएल की संतान थे, क्या वे मिस्रियों के हाथों से बाहर निकाले जा सकते यदि उन्होंने प्रभु के शब्दों पर ध्यान न दिया होता ?

24 हां, क्या तुम मानते हो कि वे गुलामी से बाहर निकाले जाते, यदि प्रभु मूसा को आदेश न देता कि वह उन्हें गुलामी से बाहर निकाले ?

25 अब तुम जानते हो कि इस्राएल की संतान गुलामी में थी; और तुम जानते हो कि वे कामों के बोझ से लदे हुए थे, जिन्हें सहन करना बहुत कष्टदायक था; इसलिए, तुम जानते हो कि उनका गुलामी से बाहर निकाला जाना, अवश्य ही उनके भले के लिए था ।

26 अब तुम जानते हो कि उस महान कार्य को करने के लिए मूसा को प्रभु का आदेश था; और तुम जानते हो कि उसके शब्दों के द्वारा लाल सागर का पानी इधर और उधर बंट गया; और वे सूखी जमीन से होकर गए थे ।

27 लेकिन तुम जानते हो कि वे मिस्री लाल सागर में डूब गए थे, जो कि फिरौन की सेना में थे ।

28 और तुम यह भी जानते हो कि उन्हें निर्जन प्रदेश में मन्ना खिलाया गया था ।

29 हां, और तुम यह भी जानते हो कि मूसा ने परमेश्वर की शक्ति के अनुसार जो उस में थी अपने शब्दों द्वारा चट्टान पर चोट की थी, और उससे पानी बह निकला आया था, ताकि इस्राएल की संतान अपनी प्यास बुझा सके ।

30 और यद्यपि उन्हें प्रभु अपने परमेश्वर से नेतृत्व मिलता रहा, उनका मुक्तिदाता, उनके आगे आगे चलकर दिन में उनका मार्गदर्शन करता और रात को उनको प्रकाश देता, और उनके लिए वह सबकुछ करता रहा जो मनुष्य के लिए उचित था, लेकिन उन्होंने अपने हृदयों को कठोर कर लिया और अपने मनों को अंधा कर दिया, और मूसा की और सच्चे और जीवित परमेश्वर की निंदा की ।

31 और ऐसा हुआ कि अपने वचन के अनुसार उसने उनको नष्ट किया; और अपने वचन के अनुसार उसने उनका मार्गदर्शन किया; और अपने वचन के अनुसार उसने उनके लिए सब कुछ किया; और कोई भी ऐसा काम नहीं था जो उसके वचन के द्वारा नहीं हुआ ।

32 और जब उन्होंने यरदन नदी पार ली तो उसने उनको बहुत शक्तिशाली बना दिया, हां, इतना शक्तिशाली कि उन्होंने उस प्रदेश के लोगों को तितर-बितर करके नष्ट कर दिया ।

33 और अब, क्या तुम मानते हो कि इस प्रदेश के लोग, जो प्रतिज्ञा के प्रदेश में थे, जो हमारे पूर्वजों द्वारा बाहर निकाल दिए गए थे, क्या तुम मानते हो कि वे धर्मी थे ? देखो, मैं तुमसे कहता हूं, नहीं ।

34 क्या तुम मानते हो कि हमारे पूर्वजों के पास उनसे अधिक चुनाव होते यदि वे धर्मी होते ? मैं तुम से कहता हूं, नहीं ।

35 देखो, प्रभु सब मनुष्यों को एक समान महत्व देता है; जो धर्मी है वह परमेश्वर को अधिक प्रिय होता है । लेकिन देखो, इन्हीं लोगों ने परमेश्वर के प्रत्येक वचन को अस्वीकार कर दिया, और वे अधर्म में बढ़ते चले गए; और परमेश्वर का संपूर्ण क्रोध उन पर भड़का; और प्रभु ने उनके कारण उस प्रदेश को श्रापित किया, और हमारे पूर्वजों के लिए इसे आशीषित किया; हां, उसने उन्हें श्राप देकर नष्ट किया, और उसने हमारे पूर्वजों को इसका अधिकार देकर इसे उनके लिए आशीषित किया ।

36 देखो, प्रभु ने पृथ्वी की सृष्टि की ताकि यह आबाद हो सके; और उसने अपने बच्चों की रचना की ताकि वे इसे अधिकार प्राप्त करें ।

37 और वह एक धर्मी राष्ट्र को खड़ा करता, और दुष्ट के राष्ट्रों को नष्ट करता है ।

38 और वह धर्मी को मूल्यवान देशों में ले जाता है, और दुष्ट को वह नष्ट करता, और उनके कारण उस प्रदेश को श्रापित करता है ।

39 वह स्वर्गों में राज्य करता है, क्योंकि वह उसका सिंहासन है, और पृथ्वी उसकी चौकी है ।

40 और उनसे प्रेम करता है जो उसे अपना परमेश्वर मानते हैं । देखो, उसने हमारे पूर्वजों से प्रेम किया, और उसने उनके साथ अनुबंध बनाया, हां, इब्राहीम, इसहाक, और याकूब के साथ भी; और उसने उन अनुबंधों को याद रखा जो उसने बनाए; इसलिए, वह उन्हें मिस्र के प्रदेश से बाहर निकाल लाया ।

41 और उसने उन्हें निर्जन प्रदेश में अपनी लाठी से सीधा किया; क्योंकि उन्होंने अपने हृदयों को कठोर कर लिया, जैसा कि तुमने किया है; और प्रभु ने उनके अधर्म के कारण उनको सीधा किया । उसने उड़ते हुए सापों को उनके बीच भेजा; और उनको काट लिए जाने के बाद उसने एक मार्ग तैयार किया ताकि वे चंगे हो सकें; और जो कार्य उन्हें करना था वह था देखना; और इस मार्ग की सहजता के कारण, या इसकी सरलता के कारण, बहुत से थे जो नष्ट हो गए ।

42 और उन्होंने समय-समय पर अपने हृदयों को कठोर कर लिया, और उन्होंने मूसा की, और परमेश्वर की भी निंदा की; फिर भी, तुम जानते हो कि वे उसकी अतुल्य शक्ति द्वारा प्रतिज्ञा के प्रदेश में लाए गए ।

43 और अब, इन सब बातों के बाद, समय आ गया है कि वे दुष्ट हो गए हैं, हां, बहुत अधिक; और मैं नहीं जानता लेकिन वे शीघ्र ही नष्ट किये जाने वाले हैं; क्योंकि मैं जानता हूं कि वह दिन अवश्य आएगा कि वे नष्ट किये जाएंगे, केवल कुछ को छोड़कर, जो गुलाम बना लिए जाएंगे ।

44 इसलिए, प्रभु ने मेरे पिता को आदेश दिया था कि वह निर्जन प्रदेश में चले जाएं; और यहूदी भी उनकी जान लेना चाहते थे; और हां, तुम भी उसकी जान लेना चाहते हो; इसलिए, तुम अपने हृदयों में हत्यारे हो और तुम उनके समान हो ।

45 तुम अधर्म करने में तेज लेकिन प्रभु अपने परमेश्वर को याद करने में धीमे हो । तुमने स्वर्गदूत को देखा है; और उसने तुम से बाते की हैं; हां, तुमने समय-समय पर उसकी वाणी को सुना है; और उसने तुमसे धीमी स्थिर आवाज में बातें की हैं, लेकिन तुम इतने संवेदनहीन हो गए थे, कि तुम उसके शब्दों को न सुन सके; इसलिए, उसने मेघ की गर्जन की तरह तुम से बातें की, जिससे पृथ्वी कांपने लगी मानो यह फटने वाली थी ।

46 और तुम यह भी जानते हो कि अपने सर्वशक्तिमान शब्द के द्वारा वह पृथ्वी को मिटा सकता है; और हां, तुम जानते हो कि वह अपने शब्द के द्वारा उबड़-खाबड़ स्थानों को समतल कर सकता है, और समतल स्थानों को तबाह कर सकता है । ओह, तब, क्यों ऐसा है, कि तुम अपने हृदयों से इतने कठोर हो जाते हो ?

47 देखो, मेरी आत्मा तुम्हारे कारण दर्द से फटी जाती है, और मेरा हृदय दुखी है; मुझे भय है कि कहीं तुम सदा के लिए न निकाल दिए जाओ । देखो, मैं परमेश्वर की आत्मा से परिपूर्ण हूं, इतना अधिक कि मेरे शरीर में कोई शक्ति नहीं रही ।

48 और ऐसा हुआ कि जब मैंने इन शब्दों को कहा वे मुझ पर क्रोध करने लगे, और मुझे समुद्र की गहराइयों में फेंकने की इच्छा करने लगे; और जैसे ही वे मुझे हाथ लगाने के लिए आगे बढ़े मैंने उनसे कहा: सर्वशक्तिमान परमेश्वर के नाम में, मैं तुम्हें आदेश देता हूं कि तुम मुझे छुना नहीं, क्योंकि मैं परमेश्वर की शक्ति से परिपूर्ण हूं, मेरा संपूर्ण शरीर इससे प्रभावित है; और जो कोई मुझे हाथ लगाएगा सूखे सरकंडे के समान नष्ट हो जाएगा; और वह परमेश्वर की शक्ति के सामने कुछ नहीं है, क्योंकि परमेश्वर उसे दंड देगा ।

49 और ऐसा हुआ कि मैं, नफी ने, उनसे कहा कि वे अपने पिता के विरूद्ध बिलकुल बड़बड़ न करें; न ही मेरे साथ काम करना बंद करें, क्योंकि परमेश्वर ने मुझे आदेश दिया है कि मैं एक जहाज बनाऊं ।

50 और मैंने उनसे कहा: यदि परमेश्वर ने मुझे यह सब करने का आदेश दिया है तो मैं इन्हें कर सकता हूं । यदि वह मुझे आदेश देता है कि मैं इस पानी से कहूं, पृथ्वी बन जा, तो यह पृथ्वी बन जाएगी; यदि मैं ऐसा कहता हूं, तो वैसा ही होगा ।

51 और अब, यदि प्रभु के पास इतनी महान शक्ति है, और मनुष्य के बीच इतने अधिक चमत्कार किये हैं, तो यह कैसे नहीं हो सकता कि वह मुझे निर्देश दे, कि मैं एक जहाज बनाऊं ?

52 और ऐसा हुआ कि मैं, नफी ने, अपने भाइयों से बहुत सी बातें कही, इतनी अधिक कि वे हार गए और मेरा विरोध न कर सके; कई दिनों तक, न ही उन्होंने मुझे हाथ लगाने की हिम्मत की न ही मुझे उंगली से छुआ । अब ऐसा करने की हिम्मत उनमें नहीं थी कि कहीं वे नष्ट न हो जाएं, परमेश्वर की आत्मा इतनी शक्तिशाली थी; और इस प्रकार इसने उन्हें प्रभावित किया ।

53 और ऐसा हुआ कि प्रभु ने मुझ से कहा: अपने हाथों को अपने भाइयों के सामने फिर से फैलाओ, और वे तुम्हारे सामने नष्ट नहीं होंगे, लेकिन मैं उन्हें झटका दूंगा, प्रभु कहता है, और मैं ऐसा इसलिए करूंगा, ताकि वे जान सकें कि मैं प्रभु उनका परमेश्वर हूं ।

54 और ऐसा हुआ कि मैंने अपने हाथों को अपने भाइयों के सामने फैलाया, और वे मेरे सामने नष्ट नहीं हुए; लेकिन प्रभु ने उन्हें हिला दिया, जैसा कि उसने कहा था ।

55 और अब, उन्होंने कहा: हम निश्चितरूप से जानते हैं कि प्रभु तुम्हारे साथ है, क्योंकि यह प्रभु की शक्ति है जिसने हमें हिलाया । और वे सामने गिर गए, और मेरी उपासना करने वाले थे, लेकिन मैंने उन्हें यह कहते हुए ऐसा नहीं करने दिया: मैं तुम्हारा भाई हूं, हां, तुम्हारा छोटा भाई; इसलिए, प्रभु अपने परमेश्वर की उपासना करो, और अपने पिता और अपनी माता का आदर करो, ताकि तुम्हारे दिन उस प्रदेश में लंबे हो सकें जिसे प्रभु तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें देता है ।