पवित्रशास्त्र
मुसायाह 5


अध्याय 5

विश्वास के द्वारा संत मसीह के बेटे और बेटियां बनते हैं—वे मसीह के नाम द्वारा बुलाए जाते हैं—राजा बिन्यामीन उन्हें भले कामों मे मजूबत और स्थिर बने रहने की सलाह देता है । लगभग 124 ई.पू.

1 और अब, ऐसा हुआ कि जब राजा बिन्यामीन अपने लोगों से इस प्रकार कह चुका तब उसने उनमें कुछ लोगों को भेज कर पता लगाया कि जो बातें उसने उनसे कही थी क्या उसके लोग उन पर विश्वास कर रहे हैं या नहीं ।

2 और वे सब एक स्वर से चिल्ला कर बोले: हां, हम उन सभी बातों पर विश्वास करते हैं जिन्हें आपने हमसे कहा; और हम जानते हैं कि वे सब उचित और सत्य है क्योंकि सर्वशक्तिमान प्रभु की आत्मा ने हमारे भीतर यानि हमारे हृदय में एक महान परिवर्तन कर दिया है, कि हम शैतान के कार्यों को नहीं करेंगे, लेकिन निरंतर भले कार्य ही करेंगे ।

3 और हम, स्वयं, भी परमेश्वर की असीम भलाई, और उसकी आत्मा के दर्शन द्वारा भविष्य के दृश्यों को देख रहे हैं; और उपयुक्त होने पर, हम सभी विषयों पर भविष्यवाणी भी कर सकते हैं ।

4 और जिन बातों को हमारे राजा ने हमसे कहा उन बातों पर अपने विश्वास के कारण ही हम इस महान ज्ञान तक पहुंचे हैं, जिसके द्वारा हम इस प्रकार के अत्याधिक आनंद से विभोर हो रहे हैं ।

5 और हम अपने शेष जीवन भर, परमेश्वर की इच्छा पूरी करने और हर एक बात में जो कुछ वह आज्ञा देगा, उन सभी आज्ञाओं को पूरा करने के लिए, परमेश्वर के साथ अनुबंध करने को तैयार है, जिससे कि हम अपने ऊपर कभी भी समाप्त न होने वाली घोर पीड़ा न लें बैठें जैसा कि स्वर्गदूत ने कहा है, ताकि कहीं हमें परमेश्वर के क्रोध के प्याले में से न पीना पड़े ।

6 और अब, ये ही वे बातें थी जो राजा बिन्यामीन उनके लिए चाहता था; और इसलिए उसने उनसे कहा: तुमने वही बातें कही जो मैं सुनना चाहता था; और जो अनुबंध तुमने किया है वह न्यायोचित अनुबंध है ।

7 और अब, जो अनुबंध तुमने किया है उसके कारण तुम मसीह की संतान, मसीह के बेटे और बेटियां कहलाओगे, क्योंकि देखो, आज उसने तुम्हें आत्मिकरूप से प्रजात किया है; क्योंकि तुम कहते हो कि उसके नाम पर विश्वास करने से तुम्हारे हृदय बदल चुके हैं; इसलिए तुमने उससे जन्म लिया और उसके बेटे और बेटियां बन गए ।

8 और इस नाम के अंतर्गत तुम स्वतंत्र किये गए हो, और इसके अतिरिक्त दूसरा कोई नाम नहीं जिसके द्वारा तुम स्वतंत्र हो सको । दूसरा और कोई नाम नहीं दिया गया है, जिसके द्वारा उद्धार प्राप्त हो सके; इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम सब मसीह के नाम को ग्रहण करो, जिन्होंने परमेश्वर के साथ अनुबंध किया है कि अपने जीवन के अंत तक उसके आज्ञाकारी बने रहोगे ।

9 और ऐसा होगा कि जो कोई ऐसा करेगा वह अपने आपको परमेश्वर के दाहिने हाथ की ओर ले जाएगा, क्योंकि वह जान लेगा कि किस नाम से उसे पुकारा जाता है; क्योंकि वह मसीह के नाम द्वारा पुकारा जाएगा ।

10 और अब ऐसा होगा, कि जो मसीह का नाम नहीं अपनाएगा उसे किसी अन्य नाम से पूकारा जाएगा; इसलिए, वह अपने आपको परमेश्वर के बांए हाथ की ओर पाएगा ।

11 और मैं चाहता हूं कि तुम यह भी स्मरण रखो कि यही वह नाम है जिसे तुम्हें देने को मैंने कहा था जो कि पाप के सिवाय किसी अन्य कारण से कभी नहीं मिटाया जाएगा; इसलिए, ध्यान रखो कि तुम पाप न कर बैठो, कि तुम्हारे हृदयों से यह नाम मिट जाए ।

12 मैं तुम से कहता हूं, मैं चाहता हूं कि जो नाम तुम्हारे हृदय में लिखा जा चुका है, उसे सदैव बनाए रखने को स्मरण रखो, जिससे कि तुम अपने आपको परमेश्वर के बाएं हाथ की ओर न पाओ, लेकिन तुम उस वाणी को और उस नाम को सुनो और जानो जिसके द्वारा वह तुमको पुकारेगा ।

13 क्योंकि एक मनुष्य अपने स्वामी को कैसे जानेगा जिसकी सेवा उसने पहले न की हो, और जो उसके लिए अंजान हो, और उसके विचारों और हृदय की अभिलाषाओं से परे हो?

14 और फिर, क्या कोई मनुष्य अपने पड़ोसी के गधे को लेता है, और अपने यहां रख लेता है ? मैं तुम से कहता हूं कि नहीं, वह उसे अपने पशुओं के साथ चारा भी नहीं देगा और उसे खदेड़ कर बाहर कर देगा । मैं तुम से कहता हूं, कि तुम्हारी भी यही दशा होगी, यदि तुम, उस नाम को नहीं जानोगे जिसके द्वारा तुम बुलाए गए हो ।

15 इसलिए, मैं चाहता हूं कि तुम अटल और अचल रहते हुए सदैव भले कार्य करते जाओ, कि मसीह, सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, मुहर लगा कर तुम्हें अपना बना ले और तुम्हें स्वर्ग में लाया जा सके, और तुम, विवेक, शक्ति, और न्याय, और उसकी दया के द्वारा तुम अनंत उद्धार और अनंत जीवन प्राप्त कर सको, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी पर सब वस्तुओं को रचा, जो परमेश्वर सर्वश्रेष्ठ है । आमीन ।