पवित्रशास्त्र
हिलामन 10


अध्याय 10

प्रभु नफी को मुहरबंदी की शक्ति देता है—वह पृथ्वी और स्वर्ग पर बांधने और खोलने में सशक्त होता है—वह लोगों को पश्चाताप करने या नाश होने की आज्ञा देता है—आत्मा उसे एक जनसमूह से दूसरे जनसमूह तक ले जाती है । लगभग 21–20 ई.पू.

1 और ऐसा हुआ कि लोगों में विभाजन होने लगा, इतना अधिक कि जब नफी उनके बीच में खड़ा था, तो उसे अकेला छोड़ते हुए वे इधर-उधर अलग होकर अपने मार्ग पर चले गए ।

2 और ऐसा हुआ कि नफी अपने घर की तरफ चला गया, उन बातों पर मनन करते हुए जिसे प्रभु ने उसे दिखाया था ।

3 और ऐसा हुआ कि जब वह इस प्रकार से मनन कर रहा था—नफाइयों की दुष्टता, अंधकार के उनके गुप्त कार्यों, और उनकी हत्याओं, और उनके लूट-मार, और हर प्रकार की बुराइयों के कारण बहुत अधिक दुखी होते हुए—और ऐसा हुआ कि जब वह इस प्रकार से अपने हृदय में मनन कर रहा था, देखो, यह कहते हुए उसे एक आवाज सुनाई दी:

4 नफी, तुम आशीषित हो, उन बातों के लिए जो तुमने किया है; क्योंकि मैंने देखा है कि किस प्रकार बिना थके हुए तुमने वचन की घोषणा की है, जिसे मैंने तुम्हें इन लोगों को सुनाने के लिए दिया था । और तुम उनसे डरे नहीं, और तुमने अपने प्राणों का मोह नहीं किया, परन्तु तुमने मेरी इच्छानुसार किया है, और मेरी आज्ञाओं का पालन किया है ।

5 और अब, क्योंकि तुमने ऐसा बिना थके हुए किया है, देखो, मैं तुम्हें सदा आशीष दूंगा; और मैं तुम्हारी बात में और कर्म में, विश्वास में और कार्यों में तुम्हें शक्तिशाली बनाऊंगा; हां, यहां तक कि सारी चीजें तुम्हारे कहे अनुसार ही होंगी, क्योंकि तुम ऐसी किसी भी चीज को नहीं मांगोगे जो मेरी इच्छा के विपरित हो ।

6 देखो, तुम नफी हो, और मैं परमेश्वर हूं । देखो, मैं अपने स्वर्दगूतों की उपस्थिति में तुम्हें बताता हूं, कि तुम्हारा इन लोगों पर अधिकार होगा, और मैं इन लोगों की दुष्टता के अनुसार पृथ्वी को अकाल, और महामारी, और विनाश से दंडित करूंगा ।

7 देखो, मैं तुम्हें अधिकार देता हूं कि धरती पर तुम जिस को भी मुहरबंद करोगे उसे स्वर्ग में भी मुहरबंद किया जाएगा; और धरती पर तुम जिस चीज को खोलोगे वह स्वर्ग में भी खुलेगा; और इस प्रकार इन लोगों पर तुम्हारा अधिकार होगा ।

8 और इस प्रकार, यदि तुम इस मंदिर को कहोगे कि दो टुकड़ों में बंट जाए तो ऐसा होगा ।

9 और यदि तुम इस पहाड़ को कहोगे, तुम नीचे गिरकर समतल हो जाओ तो ऐसा होगा ।

10 और देखो, यदि तुम कहोगे कि परमेश्वर इन लोगों को दंड दे तो ऐसा ही होगा ।

11 और अब देखो, मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं कि तुम जाओ और इसे लोगों को बताओ, कि ऐसा प्रभु परमेश्वर कहता है, जो सर्वशक्तिमान है: यदि तुम पश्चाताप नहीं करोगे तो तुम्हें दंडित किया जाएगा, यहां तक कि तुम्हारा विनाश होगा ।

12 और देखो, अब ऐसा हुआ कि जब प्रभु ने नफी से इन बातों को कह लिया, वह रुका और अपने घर नहीं गया, परन्तु वह उन लोगों में गया जो प्रदेश में तितर-बितर हो गए थे, और उन्हें प्रभु का वह वचन सुनाने लगा जो उसे बताया गया था कि यदि वे पश्चाताप नहीं करेंगे तो उनका विनाश होगा ।

13 अब देखो, मुख्य न्यायी की हत्या के संबंध में नफी ने जो लोगों को बताया था, उस महान चमत्कार के बावजूद भी उन्होंने अपने हृदयों को कठोर कर लिया था और प्रभु के वचन की तरफ ध्यान नहीं दिया ।

14 इसलिए नफी ने उन्हें प्रभु का वचन सुनाया, यह कहते हुए: यदि तुम पश्चाताप नहीं करोगे, ऐसा प्रभु परमेश्वर कहता है, तो तुम्हें दंडित किया जाएगा, यहां तक कि तुम्हारा विनाश होगा ।

15 और ऐसा हुआ कि जब नफी ने उन्हें वचन सुना दिया, देखो, उन्होंने अपने हृदयों को फिर भी कठोर ही रखा और उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया; इसलिए उन्होंने उसे बुरा-भला कहा, और उसे पकड़ने का प्रयास किया ताकि वे उसे बंदीगृह में डाल सकें ।

16 परन्तु देखो, उसके साथ परमेश्वर की शक्ति थी, और वे उसे पकड़कर बंदीगृह में नहीं डाल पाए, क्योंकि पवित्र आत्मा उसे उनके बीच में से दूर ले गई ।

17 और ऐसा हुआ कि इस प्रकार आत्मा में रहते हुए, वह परमेश्वर के वचन की घोषणा करते हुए एक जनसमूह से दूसरे जनसमूह गया, तब तक जब तक कि उसने इसकी घोषणा सबमें न कर दी, या इसे सारे लोगों में न पहुंचा दिया ।

18 और ऐसा हुआ कि उन्होंने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया; और मतभेद शुरू हो गया, इतना अधिक कि वे आपस में ही एक दूसरे के विरूद्ध हो गए और तलवार से एक दूसरे की हत्या करने लगे ।

19 और इस प्रकार नफी के लोगों पर न्यायियों के शासन का एकहत्तरवां वर्ष समाप्त हुआ ।